अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन लिथुआनिया में Nato शिखर सम्मेलन से पहले लंदन पहुंचे

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन इस सप्ताह लिथुआनिया में नाटो नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले ब्रिटिश राजधानी की एक छोटी यात्रा के लिए रविवार देर रात लंदन पहुंचे।

बिडेन सोमवार को ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक और किंग चार्ल्स III के साथ बैठक के लिए स्टैनस्टेड हवाई अड्डे पर पहुंचे।

बकिंघम महल के एक बयान में कहा गया है, किंग चार्ल्स “विंडसर कैसल के चतुर्भुज में मंच पर राष्ट्रपति बिडेन का स्वागत करेंगे।”

बयान के अनुसार, किंग और राष्ट्रपति बिडेन “क्लाइमेट फाइनेंस मोबिलाइजेशन फोरम के प्रतिभागियों में शामिल होंगे, जो दिन में पहले ही हो चुका होगा।”

बिडेन डाउनिंग स्ट्रीट में सुनक से मिलेंगे।

राष्ट्रपति बिडेन मंगलवार और बुधवार को होने वाले नाटो नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए सोमवार रात विनियस, लिथुआनिया की यात्रा करेंगे और फिर फिनलैंड जाएंगे।

Nato का इतिहास क्या है ?

NATO (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) की स्थापना 1949 में हुई थी। यह एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य दक्षिणी और पश्चिमी यूरोप में सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करना है।

NATO की स्थापना तब की गई थी जब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सुरक्षा संदर्भ में तनाव महसूस हो रहा था और पश्चिमी यूरोपीय देशों को आपसी सहयोग की आवश्यकता थी। 1948 में यूनाइटेड नेशंस के सदस्य राष्ट्रों की एक बैठक में नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी का प्रस्ताव पेश किया गया, जो बाद में 1949 में नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी के रूप में घोषित किया गया।

नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी के सदस्य राष्ट्रों के बीच एक समझौता हुआ कि यदि किसी सदस्य देश पर हमला होता है, तो यह एक आक्रमण माना जाएगा और अन्य सदस्य देशों को साथीत्व से इसका सामरिक सहयोग करना होगा। इसके अलावा, इस संगठन का संबंध मानवाधिकारों, न्याय, और आधिकारिक भाषा में सहयोग करने के लिए भी है।

नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी की स्थापना के बाद से, NATO ने अपने सदस्य देशों के बीच सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग करने के लिए कई अवधारणाएं और प्रणालियों का विकास किया है। इसमें रक्षा योजनाएं, संयुक्त सैन्य अभ्यास, संयुक्त रक्षा संगठनों की स्थापना, और संयुक्त अभ्यास अवकाश शामिल हैं।

वर्तमान में NATO के 30 सदस्य देश हैं और यह आतंकवाद, साइबर हमले, और रणनीतिक बदलाव जैसे विभिन्न सुरक्षा मुद्दों में समझौतों और साझेदारी की दुनिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

Nato में कुल कितने देश शामिल हैं और ये कब हुए ?

नॉर्थ अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में वर्तमान में कुल 30 देश शामिल हैं। निम्नलिखित सदस्य देशों को NATO के सदस्य के रूप में मान्यता प्राप्त है:

List Of NATO Member Countries

  1. बेल्जियम
  2. कैनेडा
  3. दानिश
  4. चेक गणराज्य
  5. एस्टोनिया
  6. फिनलैंड
  7. फ्रांस
  8. जर्मनी
  9. यूनाइटेड किंगडम
  10. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  11. यूनाइटेड किंगडम
  12. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  13. यूनाइटेड किंगडम
  14. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  15. यूनाइटेड किंगडम
  16. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  17. यूनाइटेड किंगडम
  18. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  19. यूनाइटेड किंगडम
  20. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  21. यूनाइटेड किंगडम
  22. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  23. यूनाइटेड किंगडम
  24. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  25. यूनाइटेड किंगडम
  26. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  27. यूनाइटेड किंगडम
  28. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
  29. यूनाइटेड किंगडम
  30. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका

Nato और रुष के बीच क्या विवाद है ?

NATO और रूस के बीच कई विवाद हैं, जिनमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण मुद्दें शामिल हैं:

उत्तर आवरोही मिसाइल रक्षा प्रणाली (ABM): NATO ने अमेरिका के नेतृत्व में उत्तर आवरोही मिसाइल रक्षा प्रणाली को एक पहल के रूप में स्थापित किया है। रूस इसे अपनी सुरक्षा परिस्थितियों के खिलाफ एक धमकी मानता है और इसे अपने संरक्षण के खिलाफ एक प्रतिक्रिया के रूप में देखता है। यह मुद्दा नेतृत्व सम्बन्धित राष्ट्रों के बीच तनाव पैदा करता है।

नैशनल नेर्व सेंटर (NATO-Russia Founding Act): 1997 में स्थापित किए गए NATO-Russia Founding Act के बावजूद, रूस और NATO के बीच अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और सहयोग के क्षेत्र में विवाद बना रहा है। रूस को लगता है कि NATO ने पूरे अनुबंध को पालन नहीं किया है और पश्चिमी यूरोपीय देशों को अपने संरक्षण के खिलाफ एकाधिकार के रूप में आगे बढ़ने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

क्राइमा और उक्रेन के मुद्दे: रूस की क्राइमा और उक्रेन पर अधिकार कार्रवाई के बाद, NATO और रूस के बीच तनाव बढ़ा है। NATO ने रूस की कार्रवाई को नकारा है और उक्रेन के समर्थन में खड़ा हो गया है, जबकि रूस इसे अपने दोनों अधिकार कार्रवाई का उल्लंघन और पश्चिमी प्रभाववाद का परिणाम मानता है। यह मुद्दा भी NATO और रूस के बीच संबंधों को प्रभावित करता है।

ये कुछ मुद्दे हैं, जो NATO और रूस के बीच तनाव पैदा करते हैं। हालांकि, विवादों के बावजूद, दोनों पक्षों के बीच संवाद और समझौता खोजने के प्रयास भी हुए हैं, जो क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा में सहयोग को बढ़ाने की कोशिश करते हैं।

NATO के आर्टिकल 5 का सच्चाई क्या है ?

NATO के आर्टिकल 5 को “कलंकित हमले की उपस्थिति में संघ की सदस्यता के तहत समझौते के अनुसार आक्रमण को एक आक्रमण के रूप में माना जाएगा” के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह एक संरक्षणीय उपचार है जिसका उपयोग केवल यदि किसी सदस्य राष्ट्र पर आक्रमण होता है, किया जाता है।

अर्थात, जब किसी NATO के सदस्य देश पर कलंकित हमला होता है, तो यह उपचार के तहत आक्रमण के समान माना जाता है। इसका अर्थ है कि अन्य सदस्य देशों को साथीत्व से उस देश का सामरिक सहयोग करना होगा। इस प्रक्रिया को “कलंकित हमले की उपस्थिति में सामरिक संघर्ष” के रूप में जाना जाता है।

आर्टिकल 5 के प्रयोग के बारे में यह जरूरी है कि कलंकित हमले की उपस्थिति स्पष्ट और आकलनीय हो, और इसे संघ के नेतृत्व द्वारा मान्यता प्राप्त किया जाना चाहिए। सदस्य देशों के लिए यह एक प्रतिबद्धता है कि वे एक दूसरे की सुरक्षा में इतने ही संवेदनशील और समर्पित हैं जितना अपनी खुद की सुरक्षा में होते हैं।

आर्टिकल 5 का प्रयोग पहली बार विधि के तहत 2001 में हुआ, जब NATO के सदस्य राष्ट्र अमेरिका पर हुए 11 सितंबर हमलों के उपरान्त संघ के सदस्य देशों का समर्थन देने के लिए आग्रह किया था। इसके अलावा, कोशिशें आर्टिकल 5 का प्रयोग करने की बार बार हुई हैं, लेकिन इसे अब तक फिर से लागू नहीं किया गया है।

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